How to set priorities of life

जिंदगी की प्राथमिकताएँ तय कैसे करे!
(How to set priorities of life)

दुनिया में हर व्यक्ति के अलग-अलग लक्ष्य होते है,सबकी सोच में फर्क होता है और सोच के अनुसार ही इंसान अपनी प्राथमिकताएँ तय करता है ।

जेसे कुछ लोग काम को सर्वोच्च मानते है, उनका परिवार गौण हो जाता है । कुछ लोग आराम की जिंदगी और आलस अपनाते हे उनका व्यसाय प्रभावित हो जाता है | इसलिए सबसे पहले हमें गंभीरता से ये सोचना चाहिए कि आखिर हमारी प्राथमिकता क्या हे ? व्यवसाय ,परिवार ,मित्र,समाज या कुछ और ।

दोस्तों ! कहने को सारी किताबें और ज्ञानी लोग कहते है कि परिवार और कार्यक्षेत्र में संतुलन होना चाहिए लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो पता है । हमेशा कोई न कोई पहलू असंतुष्ट रह जाता है । इसलिए ये छोटी सी कहानी आपकी मदद जरूर करेगी ।

“ एक प्रेरक ने एक कांच का बर्तन वहां उपस्थित लोगो को दिखाया और उसमें पत्थरों के बड़े – बड़े टुकड़े डाले और वह बर्तन भर गया । फिर उस महात्मा ने लोगो से पूछा – क्या इस बर्तन में कुछ और आने कि जगह है । सबका उत्तर था नहीं ,यह अब भर चूका है ।

उन महात्मा ने कुछ छोटे –छोटे कंकड़ उठाये और बर्तन में डाले । वो कंकड़ बड़े बड़े पत्थरों के बिच में जगह को भरने लगे धीरे – धीरे काफी मात्रा में कंकड़ उस बर्तन में आ गये । फिर महात्मा ने पूछा - क्या इस बर्तन में कुछ और आने कि जगह है । अधिकांश का उत्तर था नहीं ,यह अब भर चूका है ।
महात्मा ने पुन: उस कांच के बर्तन को लिया और उसमे बारीक़ रेत भरने लगे । थोडा बर्तन को हिलाया तो और रेत अन्दर चली गई । सारे उपस्थित लोग निरुतर हो गये ।

महात्मा ने कहा – मित्रों ! सामान्य सोच से एक कदम आगे जाकर सोचोगे तो ही उत्तर मिलेंगे । अंत में महात्मा ने फिर से पूछा - क्या इस बर्तन में कुछ और आने कि जगह है । वहां उपस्थित लोगो ने अबकी बार उस बर्तन को हिला डुला कर देखा और अधिकांश ने द्रढ़ता से उत्तर दिया –हमारे अब तक के सारे जवाब चाहे गलत हो लेकिन अब नहीं , यह अब भर चूका है और इसमें अब कुछ भी नहीं भरा जा सकता ।
महात्मा ने कोई उत्तर नहीं दिया और उस कांच के बर्तन को उठाया और उसमे पानी डालना शुरू किया । पानी अपनी जगह बनाते हुए पत्थरों और रेत में समां गया । अब सभी लोगे के सिर झुक चुके थे ।

तब महात्मा ने कहा –यदि इन पत्थरों कि जगह पहले रेत भर दी जाती तो  ये पत्थर इसमें नहीं आ पातें और यदि पहले पानी भरा जाता तो पत्थर डालते ही पानी बहार छलक जाता ।”

दोस्तों इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि अगर आपकी प्राथमिकताएं सही है और आप उन्ही के अनुसार कार्य कर रहे है तो घटनाएँ जीवन में सही क्रम में घटेगी और सभी पहलुओं में संतुलन रहेगा । जिस प्रकार एक सही क्रम होने के कारण पहले बड़े पत्थर फिर छोटे कंकड़, रेत और पानी सब आ गये ।ठीक उसी प्रकार जीवन में भी यदि आप को परिवार कार्यक्षेत्र,स्वास्थ्य,समाज में सही संतुलन बनाना हो तो फिर आपको अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करनी होगी ।


“आपके पास एक ही जीवन है ,इसे आप यूँ ही
बहाने बनाकर गुजार दें या संघर्ष करके
उपलब्धियां हासिल करें चुनाव आपका है ।
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Note: - आपके साथ कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational story) मेरी स्वयं कि कृति नहीं है, मैंने ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया है.

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