तितली का संघर्ष

तितली का संघर्ष

एक बार जीव विज्ञान के professor अपने students को यह सिखा रहे थे कि caterpillar से तितली कैसे उत्पन्न होती है. उसने बताया कि तितली बनने से पहले वह एक caterpillar होती हे जो कि एक रेंगने वाला छोटा कीड़े जैसा होता है . उसने तितली का एक कोकून students के सामने रखा और यह कह कर कि इसे ध्यान से देखो वो अपना काम करने लग गए . सभी students उसे ध्यान से देखने लगे. उन्होंने नोटिस किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उन्होंने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी , और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो. इसलिए उनमें से एक student ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके. और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे.
वो लोग तितली को ये सोच कर देखते रहे कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और और उनकी एक गलती से मारी गयी.

तितली को मरा देखकर professor ने पूछा कि इसकी बाहर निकलने में मदद नहीं करनी चाहिए थी. और उसने एक दूसरा कोकून लाया और students को अपने सामने पूरी प्रक्रिया समझाना शुरू किया फिर वही process start हुई की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी , और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो. लेकिन तभी सभी ने देखा कि वो कोकून को छेदकर बाहर निकल रही थी. बड़ी मुश्किल से बाहर निकली लेकिन इस बार वो उड़ी .पहले धीरे फिर एक दीवार से दूसरी दीवार पर बैठती हुई उड़ गयी.

Professor ने अब समझाया कि अपनी दया और जल्दबाजी में आप लोग ये नहीं समझ पाए की दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुँच सके और वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके.

MORAL: - वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है. यदि हम बिना किसी struggle के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे. बिना परिश्रम और संघर्ष के हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते जितना हमारी क्षमता है. इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जायंगे जो आपकी ज़िन्दगी की उड़ान को possible बना पायेंगे.

Note: - आपके साथ कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational story) मेरी स्वयं कि कृति नहीं है, मैंने ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया है.
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