सफलता कि राह


सफलता कि उड़ान
बाज से सीखिये सफलता के 7 सूत्र 
बाज से सीखिये सफलता के 7 सूत्र

क्या आपने कभी ऊँचाइयों पर अकेले बाज़ को उड़ते देखा है? वो नीचे के छोटे मोटे खतरों से कितना ऊपर उठ कर अधिक ऊँचाइयों पर जाने के लिए तैयार होता है। उसे सुंदर दृश्यों से ऊपर अपने लक्ष्य की और सीमा हीन आकाश में उड़ते समय कितनी शक्ति और कितना आनंद महसूस होता होगा।

वह सच में अपने इलाके, अपनी जिंदगी का स्वामी होता है। ज़रा सोचिये!, अगर आप भी अपनी जिंदगी में वैसी ही अनंत उड़ान भर पाये तो कैसा हो। जिन ऊँचाइयों पर जाने से लोग डरते हैं उन ऊँचाइयों पर पहुँचने कि कल्पना करें । (eagle) बाज़ जैसी आज़ाद जिंदगी जीने के लिए और अपने सपनों को हासिल करने के लिए आपको अपनी बनाई हुई सीमाओं से मुक्त होना होगा।

आइए इस महान पक्षी से सीखते हैं सफलता के 7 गुण जिनको हम अपने जीवन में अपना कर सफलता कि ऊँचाइयों को छू सकें।

1.बाज़ हमेशा बाज़ के साथ उड़ते हैं
बाज़ बहुत ऊँचाई पर हमेशा अकेले उड़ते हैं। वो कभी चिड़िया, तोते, या किसी और पक्षी के साथ उड़ना पसंद नहीं करते।
सभी पक्षी, जिनके पंख होते हैं, वो झुंड में उड़ते हैं लेकिन eagle यानी बाज़ इन सबसे ज्यादा ऊँचाई पर, हमेशा बाज़ के साथ उड़ता है।
इसी तरह जीवन में आपकी संगत किन लोगों के साथ है वही निर्णय करेगा कि आप अपने जीवन में कितनी ऊँची उड़ान भरोगे,

2. एक बार बाज़ का अंडा कहीं खो जाता है और वो मुर्गी के अंडों में मिल जाता है। बहुत खोजने के बाद भी वो उसको नहीं मिलता । हारकर वो वापिस आसमान में उड़ जाता है। समय आने पर अंडा फूटता है और उसके अन्दर से बाज़ निकलता है। वो उन्हीं के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिट्टी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीं की तरह चूँ- चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़ -फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-
” इतनी उँचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
लेकिन चूजों के बीच में पला बड़ा होने के कारण वो ख़ुद को मुर्गा समझता था। उसकी सब आदतें मुर्गों जैसी ही थी।

एक दिन उस बाज़ कि माँ उधर से निकलती है और उसका ध्यान नीचे मुर्गों के साथ खेलते हुए बाज़ पर पड़ती है तो झट से उसे अपने खोये हुए अंडे कि याद आती है। वो नीचे आती है और उसको कहती है कि तू मुर्गी का नहीं बल्कि मेरा बच्चा है। तू आसमान छूने के लिए पैदा हुआ है, तू पहाड़ की चोटियों पर रहने के लिए बना है। लेकिन बाज़ कि सोच भी मुर्गों जैसी ही बन जाती है वो कहता है कि नहीं मैं मुर्गा हूँ, मैं बहुत ऊँचा नहीं उड़ सकता। बाज़ कि माँ उसे बहुत समझाती है लेकिन वह नहीं मानता । हारकर वह माँ बाज़ वापिस चली जाती है।

बाज़ का बच्चा जो आसमान कि ऊँचाइयों को छूने के लिए पैदा हुआ था नेगेटिव माहौल में पला बड़ा होने कि वजह से एक मुर्गे जैसी जिंदगी जी कर इस दुनिया से चला गया। वह बाज़ का बच्चा दिमागी रुप से हार गया था।

अगर हम ख़ुद को बाज़ कि तरह से आसमान कि ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं , तो हमें बाज़ के तौर तरीकों को समझना और सीखना पड़ेगा। अगर हम ख़ुद को कामयाब लोगों के साथ जोड़ेंगे तो हम भी कामयाब हो जायेंगे।
नाकामयाब व्यक्तियों कि संगत में रह कर हम भी कामयाब नहीं हो सकते। कामयाबी हासिल करने के लिए यह जरूरी हैं कि आज ही उन नकारात्मक लोगों का साथ छोड़ दें जो हमेशा भेड़ बकरियों जैसी जिंदगी जीना चाहते हैं और छोटी मोटी नौकरी से संतुष्ट हो जाते हैं और उससे आगे कभी बढ़ना नहीं चाहते। हमेशा उन लोगों के साथ रहें जो कामयाब हैं और आगे बढ़ने के लिए मोटीवेट रहते हैं।

3. बाज़ हमेशा केंद्रित रेह्ते हैं
बाज़ का विज़न बहुत सट्रांग होता है।
वो आसमान से पाँच किलो मीटर से शिकार को देख लेता है।
हमेशा अपनी नजर वहाँ पर केंद्रित रखता है।
चाहे जितनी भी चुनौतियाँ आएँ तब तक उस शिकार से नजर नही हटाता जब तक उसे हासिल ना कर ले।

जीवन में आगे बढ़ते हुए चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाए हमेशा अपना विज़न सट्रांग रखिए।
अपने लक्ष्य की और ध्यान केंद्रित करें। आप अवश्य जीतेंगे ।
कामयाबी हासिल करने के लिए मुश्किलों से नजर हटानी होगी और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
इसी वजह से आप अपने जीवन में सफल होंगे।

4. बाज़ अपने दम पर जिंदगी जीते हैं |
बाज़ कभी मरे हुए जानवर को नही खाते। वो अपना शिकार ख़ुद करते है।
कामयाबी हासिल करने के लिए सरदार भगत सिंह कि इस लाइन को हमेशा याद रखना होगा

"जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो जनाज़े जाते हैं"

ख़ुद काम करने वाले लोग ही सफल होते हैं।

5. बाज़ चुनौतियों का मजा लेता है |

बाज़ ही ऐसा पक्षी है जो तूफानों से प्यार करता है। जब आसमान में काले बदल आते हैं तो वो जोश से भर जाता है।
अपने पंख बहुत तेजी से मारता है, वो तेज आंधियों की मदद से ऊँचाइयों तक, आंधियों के बीच पहुँच जाता है।
फिर वो पंख मारने बंद करके पंखों को आंधियों के आगे फैलाकर आसमान कि ऊँचाइयों का आनंद लेता है।
तेज आँधियाँ बाज़ को मौका देती हैं कि वो अपने पंखों को आराम दे और हवा के दबाव के साथ उड़ता जाए।
जबकि दुसरे पक्षी तेज तूफान में पत्तों और टहनियों कि आड़ में छिपने कि जगह तलाश करते हैं।

जीवन में मुश्किलें तो आएँगी लेकिन आपका नजरिया आप को शिखर पर ले जाएगा। यह आप पर निर्भर करता है।

या तो आप हालात बदल देंगे या हालात आप को बदल देंगे।

लोग आपको सेल्यूट क्यों करेंगे, आपको सुनने के लिए या आपसे मिलने के लिए हजारों लोग क्यों इकट्ठे होंगे क्योंकि जिन हालातों में आम लोगों ने हार मान ली, आपने उन्हीं हालातों में कामयाब होकर यह साबित कर दिया कि आप उत्तम हैं।
हम अपनी जिंदगी की मुश्किलों के आगे घुटने टेक सकते हैं या उन्हीं मुश्किलों से चैलंज लेकर आगे बढ़ सकते हैं या बढ़ने के लिए इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

6. बाज़ भरोसा करने से पहले परीक्षा लेता है।

फीमेल बाज़ किसी मेल बाज़ को अपना साथी मानने से पहले उसकी परीक्षा लेती है ।
फीमेल बाज़ तेज़ी से धरती कि तरफ आती है और एक टहनी को उठाकर पुरी ताकत से ऊपर उड़ती है और ऊपर जाकर उसको छोड़ देती है। और उसको गिरते हुए देखती है, मेल बाज़ उस टहनी का पीछा करता है। जितनी तेज़ी से टहनी नीचे गिरती है उससे भी तेज गति से वो नीचे कि तरफ़ जाता है और नीचे गिरने से पहले उसे लपक लेता है और वापिस फीमेल बाज़ को दे देता है। फीमेल बाज़ फिर दोगुनी गति से आसमान कि तरफ़ उड़ती है और बहुत ऊँचाई पर जाकर फिर उस टहनी को छोड़ती है और देखती है कि नीचे गिरने से पहले क्या मेल बाज़ उसको पकड़ पाता है या नहीं।

यही प्रक्रिया घंटों तक चलती है जब तक फीमेल बाज़ मेल बाज़ कि प्रतिभा कि जाँच नही कर लेती और बाद में फीमेल बाज़ उसको अपना संगिसाथी मान लेती है।

बाज़ ख़ुद को और अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए तैयार रहता है।
जब एक फीमेल बाज़ ने अंडे देने होते हैं तब मेल और फीमेल बाज़ चट्टानों पर एक जगह का चुनाव करते हैं जहाँ पर कोई भी हिंसक जानवर ना पहुँच पाए।
मेल बाज़ धरती कि तरफ़ उड़ता है और काँटे, टहनियों को चुन कर उपर रखता है। फिर काँटे और घास कि एक परत बना दी जाती है जब पहली परत बन जाती है तो अगली परत बनाने के लिए मेल बाज़ फिर धरती कि तरफ़ आता है और काँटों, घास, टहनियों, और पंखों की परत बनाता है।
घोंसले को इस तरह से बनाया जाता है कि बाहर कि तरफ़ काँटों की दीवार बन जाए जिससे कोई दूसरा पक्षी अन्दर ना आ सके।

फीमेल बाज़ और मेल बाज़ फ़ैमिली बनाने में भाग लेते हैं। फीमेल बाज़ अंडे देती है और उनकी रक्षा करती है। जबकि मेल बाज़ घोंसला बनाता है और शिकार करता है और खाना ले कर आता है।

जब छोटे बाज़ को उड़ना सिखाया जाता है तो फीमेल बाज़ अपने छोटे बाज़ जो अभी पुरी तरह से नही उड़ना जानता बस घोंसले में अपने पंख हिलाता रहता है , उसे घोंसले से नीचे फेंकती है तो वह डर कि वजह से उड़ने कि कोशिश करने कि बजाए वापिस घोंसले में आना चाहता है तब फीमेल बाज़ घोंसले के ऊपर वाली घास कि नरम तय को हटा देती है तो छोटे बाज़ के शरीर को काँटे चुभते हैं।
तब वो सोचता है कि माँ मुझे इतना दुःख क्यों दे रही है, लेकिन उसको नहीं पता होता कि उड़ना सीखने के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है।
फिर से माँ छोटे बाज़ को हवा में उछालती है, ताकि वो भी उड़ना सीख ले लेकिन तभी नीचे गिरने से पहले पिता बाज़ उस छोटे बाज़ को लपक लेता है।
धीरे- धीरे छोटे बाज़ को ये खेल अच्छा लगने लगता है और उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगता है फिर इसी मुश्किल से दिखने वाले खेल कि वजह से वो छोटा बाज़ उड़ना सीख जाता है।

Moral-

1. उड़ने के लिए तैयार करने कि यह प्रक्रिया यह सिखाती है कि बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहिये।
2. घोंसला बनाने के लिए फ़ैमिली कि तैयारी यह सिखाती है कि टीम वर्क हमेशा सफलता दिलाता है।
3. छोटे बच्चे को काँटे चुभना यह सिखाता है कि ज्यादा comfort zone (आराम कि जिंदगी) में हम सीख नहीं सकते।

जिंदगी में ऊपर उठने के लिए चुनौतियों का आना और होना जरूरी है।

यह बहुत जरूरी है कि वरिष्ठ होने के तौर पर आप सिर्फ़ अपने छोटों को समझाएँ ही नहीं बल्कि  सिखाएँ भी।
उन्हें मुश्किल हालातों से निकलना ही होगा अगर वो आगे बढ़ना चाहते हैं।
नहीं तो वो कभी सीख ही नहीं सकते , इससे बढ़िया रास्ता सीखने का है ही नहीं।

अगर तैरना सीखना है, तो पानी में जाना ही होगा और चार गोते खाने ही पड़ेंगे।

या तो हम विफलता के बहाने बना सकते हैं, या मुश्किलों से सीख सकते हैं।

मुश्किलें एक सर्जरी कि तरह होती है जिनके चलते हुए दर्द तो होता है लेकिन वही सर्जरी बड़े दुःख को दूर करने के लिए जरूरी होती है
वही लोग आसमान कि बुलंदियों को छूते हैं जो मुश्किलों से कभी हारते नहीं। इसी वजह से वो सीखते हैं, दुनिया में आगे बढ़ते हैं, और दुनिया उनको सलाम करती है।

7. बाज़ जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए बेकार चीजों का त्याग करता है
पक्षियों कि जाति में बाज़ कि लाइफ सबसे ज्यादा होती है, वो 70 साल तक जीता है पर इस उमर तक पहुँचने के लिए उसे अपनी जिंदगी में बहुत सख्त फैसले लेने पड़ते हैं।
जब वो 40 साल का हो जाता है तब उसके पंजे शिकार को पकड़ने, झपटने के काबिल नहीं रहते ।
उसकी लंबी टेढ़ी चोंच झुक जाती है।
उसके बड़े और बूढ़े पंख उसकी छाती के साथ अटक जाते हैं, जिसकी वजहाँ से उसे उड़ने में बड़ी मुश्किल होती है।
तब बाज़ के पास केवल दो ही रास्ते बचते हैं |
1. हालातों को अपने ऊपर हावी होने दे और मरना स्वीकार करे ....या....
2. 150 दिनों कि एक दर्दनाक प्रक्रिया से निकले जिसकी वजह से उसे नया जीवन मिले।

बाज़ कभी भी हार नहीं मानता और अपने घोंसले कि तरफ़ उड़ जाता है, और तब वो अपनी चोंच को चट्टान के साथ मारता है जब तक वो उखड़ ना जाए।
तब उसके बाद वो नई चोंच के आने का इंतज़ार करता है। उसके बाद अपने नाखूनों को भी उखाड़ता है। जब उसके नए नाखून दुबारा आ जाते हैं।
तब वो अपने पुराने पंखों को उखाड़ना शुरु करता है।
इस सारी प्रक्रिया में पाँच महीने लगते हैं और उसके बाद जब उसके नए पंख आ जाते हैं तो उसका एक नया जन्म होता हैं।
वो एक नई उड़ान भरता है और इस तरह से वो ही बाज़ जो मरने कि कगार पर खड़ा था, 30 साल और जीता है |

कई बार जिंदा रहने के लिए आगे बढ़ने के लिए बेकार चीजों का त्याग करना और परिवर्तित प्रक्रिया से निकलना बहुत जरूरी होता है।

हमें पुरानी आदतों को छोड़ना पड़ता है जिनको साथ लेकर हम आगे नहीं बढ़ सकते।

हमें सफलता के लिए नई आदतों को अपनाना ही पड़ेगा, जिसकी वजह से हम तरक्की कि और बढ़ सकें।

पुराने बीत चुके समय को भूला कर बेकार के ख्यालो को छोड़कर, हम आज चल रहे समय को अच्छा कर सकते हैं।

मुझे आशा है कि सफलता कि उड़ान से आप प्रेरणा लेंगे।

इसे पढ़ने के बाद आप सफलता कि राह कि रुकावटों को एक नई नजर से देखेंगे।

तो फिर उड़ने के लिए तैयार हो जाए हम एक दिन शिखर पर जरूर मिलेंग।

-Sagar Singh Panwar

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