देना और देने की नीयत का जादू देखे

देना और देने की नीयत का जादू देखे !

एक  बार मनगढ़ंतपुरम  नाम का एक राज्य था. बारिश बिलकुल नहीं होने के कारण पूरे राज्य में भीषण अकाल पड़ा था .पूरे राज्य की जनता परेशान थी इसी वजह से वहां का राजा भी बहुत दुःखी था. इस समस्या को लेकर राजा अपने गुरु के पास पहुंचा. गुरु ने एक रास्ता बताया कि इस समस्या से निजात पाने का एक रास्ता है, अगर आप सवेरे-सवेरे जल्दी पूरे शान-शौकत के साथ रास्ते में मिलने वाले पहले आदमी से भीख मांग कर लाओ अगर आप खाली हाथ लोट आए तो मुसीबत और बढ़ जाएगी.

अगले दिन राजा पूरे ठाठ-बाट के साथ सवेरे-सवेरे भीख मांगने रवाना हुआ. तो दूसरी तरफ एक भिखारी अपना झोला लेकर रवाना हुआ. भिखारियों की एक आदत होती है कि वह कभी खाली झोला लेकर नहीं जाते इसलिए उसने दो मुट्ठी चावल अपनी झोली में डाल कर निकल गया.

रास्ते में जैसे ही भिखारी ने राजा को देखा ,बड़ा खुश हुआ की बड़े दिन बाद आज बहुत भीख मिलेगी सुबह- सुबह राजा के दर्शन हो गए. दूसरी तरफ राजा ये सोचकर बड़ा दुःखी हुआ कि सुबह-सुबह पहला आदमी मिला भी तो एक भिखारी. लेकिन राजा को उससे भीख तो लेनी थी मजबूर था.
राजा को देख भिखारी ने भिक्षा की याचना की. राजा अपने रथ से उतर कर भिखारी के पैर पकड़ लिए और बोला- भिक्षाम देहि !

ये क्या! सब उलटा हो गया-राजा को भिक्षा माँगते देखा भिखारी के सारे अरमानों पर पानी फिर गया. बड़े दुःखी होकर बोला है राजन मैं गरीब हूँ और आप मुझसे ही भिक्षा की कामना कर रहे है.

भिखारी की भीख देने की बिलकुल भी नीयत नहीं थी. फिर भी राजा के बहुत याचना करने पर बड़े दुःखी मन से झोले में से चार दाने चावल के राजा को दे दिए. राजा भिक्षा पाकर चला गया.

उस दिन भिखारी को बहुत भीख मिली , इतनी भीख मिली जितनी उसे पूरे महीने में नहीं मिली थी. वह भीख लेकर अपने घर पहुंचा तो उसकी पत्नी बोली वाह आज पूरा झोला भरकर भिक्षा मिली है. झोला देते हुए वह बोला, खाक भिक्षा मिली; सुबह पहले राजा मिल गया था. भीख देने के बजाय भीख लेकर चला गया.

हमेशा भीख लेने की आदत थी कभी किसी को कुछ दिया नहीं इसलिए उसे बहुत सारी भीख मिलने की ख़ुशी नहीं थी, उसे तो उन चार दानों का दुःख था जो उसने राजा को दे दिए.
तभी उसकी पत्नी बोली “ आज ये चार सोने के सिक्के किसने दिए.”

चार सोने के सिक्के! यह सुनकर भिखारी ने माथा पकड़ लिया और अफसोस करने लगा की काश मैंने सारे के सारे चावल दे दिए होते तो आज मैं मालामाल होता. लेकिन अब उसके पास अफसोस के अलावा उसके पास कोई दूसरा चारा नहीं था.

शिक्षा : - यही होता है आम जीवन में कि दोस्त हम पाना तो बहुत कुछ चाहते है. लेकिन उसके बदले कुछ देना नहीं चाहते. बहुत बड़े-बड़े सपने देखते है लाखों करोड़ों की बाते करते है लेकिन उसको हासिल करने के लिए कुछ देना नहीं चाहते. अगर कही ₹100/- लगाने पर हजार का फायदा होता है तो हम कहते है क्या हुआ अगर हजार को फायदा हुआ ये तो होना ही था, लेकिन मेरी जेब से ₹100/- लग गए .

दोस्तों अगर सफल होना चाहते हो जिंदगी में तो सबसे पहले देने की नीयत रखो. आप जितना दोगे वही हजार गुना होकर मिलेगा. यह नीयत ही आपको लाखों लोगों में से सेकड़ो में लाकर खड़ा कर देगी.

“ देना और देने की नीयत का जादू देखे !”

Note: - आपके साथ कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational story) मेरी स्वयं कि कृति नहीं है, मैंने ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया है.

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