भय या प्रेम

भय या प्रेम


बच्चे से लेकर बूढ़े तक भय का अनुभव करते है जिसका कारण मोटे तौर पर मन की कमजोरी, अज्ञानता या कायरता का होना मालूम पड़ता है पर जरा गहरे में देखें तो भय का प्रेम का न होना दिखाई पड़ता है. हालाँकि एक कहावत है की भय बिनु प्रीत न होई पर ऐसा प्रीति, ऐसा प्रेम वास्तव में प्रेम नहीं सांसारिक स्वार्थी भावना ही होती है. नैसर्गिक यानी स्वाभाविक प्रेम तो बिना शर्त होता है, कुछ पाने के लिए नहीं बल्कि देने के लिए होता है, क्योंकि जो कुछ पाने के लिए किया जाता है वो प्रेम नहीं, वासना है, व्यापार है. जिसे प्रेम होता है उससे भय नहीं हो सकता क्योंकि जिससे भय होता उससे घृणा हो सकती है प्रेम नहीं हो सकता. हम जिससे भयभीत होते है उससे प्रेम नहीं कर सकते क्योंकि जिससे प्रेम करते उससे भयभीत नहीं हो सकते. जो परमात्मा से प्रेम करता है वह कहीं भी, कभी भी भयभीत नहीं हो सकता. वास्तव में वहाँ अभय होता है. हम या तो भय का अनुभव कर सकते है या प्रेम का, दोनों अनुभव एक साथ नहीं हो सकते.

एक नवविवाहित दंपति पर्यटन के लिए हिल स्टेशन आये हुए थे और एक बड़ी झील में नौका विहार कर रहे थे की अचानक जोरों की आंधी के साथ तेज वर्षा शुरू हो गई जिससे नाव बुरी तरह डगमगाने लगी. ऐसा लगने लगा जैसे नाव अब पलटी अब डूबी. नवविवाहिता पत्नी अपनी मृत्यु से घबरा उठी लेकिन ये देख के चकित राह गई की उसका पति निश्चिंत और शांत बैठा मुस्करा रहा है. वह बोली क्योंजी आपको डर नहीं लग रहा ? नाव बुरी तरह डगमगा रही है, किनारा काफी दूर है ऐसे में नाव डूब गई तो मौत निश्चित है और आप है की मुस्करा रहे हैं. युवा पति ने जेब से पिस्तौल निकाली और पत्नी की छाती पर लगा दी जैसे उसे शूट करना चाहता हो. पत्नी मुस्करा कर बोली यह क्या मजाक है जी ? मेरी बात का जवाब तो दिया नहीं उलटे पिस्तौल तान रहे हो ! युवक बोला तुम्हारे साइन पर पिस्तौल अड़ी है, और गोली चली की तुम्हारा खेल ख़त्म फिर भी तुम मुस्करा रही हो. तुम्हें डर नहीं लगा रहा ? पत्नी खिलखिलाकर हँसते हुए बोली मैं क्या इतनी बेवकूफ हूँ जो आपसे डरूं? मैं आपसे प्रेम करती हूँ आप मुझसे प्रेम करते हैं फिर आपसे या आपकी इस पिस्तौल से क्यों डरूं? युवक बोला मुझे भी परमात्मा से प्रेम है इसलिए मुझे भी इस विपत्ति से डर नहीं लग रहा है . मैं जनता हूँ परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है. मैं उससे राज़ी हूँ क्योंकि मैं उससे प्रेम करता हूँ और इसलिए मुझे किसी भी परिस्थिति मैं डर नहीं लगता.

Note: - आपके साथ कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational story) मेरी स्वयं कि कृति नहीं हैमैंने ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया है.

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