अन्धा कानून

सत्य कथा 

अन्धा कानून


अहमदाबाद / पटना: आठ महीने से गुमशुदा एक महिला अपने घर वापस पहुंची है, लेकिन उसका पति उसकी हत्या के आरोप में जेल में बंद है। अनीता नामक इस महिला की 'मौत से जिंदगी' की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। 

पहले मौत की कहानी जानते हैं। बिहार के नालंदा ज़िले की रहने वाली अनीता पिछले साल जून महीने में अपने पति रवींद्र के साथ काम की तलाश में गुजरात गई। अहमदाबाद स्टेशन पर वह अपने पति से बिछड़ गई। अनीता पढ़ी-लिखी थी, ही उसे मगही के अलावा कोई और भाषा आती थी। लिहाज़ा वह किसी को समझा नहीं पाई कि वह कौन है और उसके साथ क्या हुआ है। लावारिस समझकर स्थानीय पुलिस ने उसे अहमदाबाद के ओढव नारी संरक्षण गृह में भेज दिया। 

दूसरी ओर पति भी अनीता के मिलने पर वापस गांव गया। अनीता के पिता ने बेटी को नहीं देखा, तो वह रवींद्र पर आग बबूला हो गए। उन्होंने रवींद्र पर अनीता की हत्या का आरोप लगते हुए एफआईआर दर्ज करावा दी। अनीता के मिलने के चलते पुलिस ने रवींद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 

अनीता भी अपनी मौत की खबर से बेखबर अहमदाबाद के नारी संरक्षण गृह में पड़ी रही। पिछले महीने नारी संरक्षण गृह की ज़िम्मेदारी राज्य के समाज कल्याण विभाग से लेकर महिला और बाल विकास विभाग को सौंप दी गई। इस विभाग ने मुस्तैदी दिखाई। उन्हें लगा कि इस महिला को घर भेजा जा सकता है। छह महीने से संरक्षण गृह में पड़ी अनीता से बातचीत शुरू हुई। वह अपनी बात विभाग को समझ नहीं पा रही थी। फिर विभाग के अधिकारियों को लगा कि हो हो इस लड़की की भाषा बिहार की तरफ की लगती है। फिर बिहार की भाषा जानने वाले लोगों से उससे पूछताछ करवाई गयी। तब जाकर पता चला कि लड़की के गांव का नाम गोपालबाग है। पहले लगा कि बात बिहार के गोपालगंज जिले की है, लेकिन वहां पर जांच से कुछ हासिल नहीं हुआ। ज्यादा बातचीत करने पर अनीता ने बताया कि उसके गांव के पास बड़ा शहर नालंदा है। 

इससे यह साफ हो गया कि जिला नालंदा ही है। वहां इंटरनेट से गांव का नाम पता करने पर पता चला कि यह नालंदा के सरमेरा पुलिस थाने में पड़ता है। स्थानीय पुलिस से बातचीत शुरू हुई। पुलिस ने कह दिया कि इस गांव में ऐसा कोई नहीं है। फिर पिता का नाम बताने पर पुलिस पिता को लेकर आई। विभाग के अधिकारियों ने बातचीत की, तो वे चौंक गए, क्योंकि उन्होंने बताया गया कि उनकी बेटी की तो मौत हो चुकी है और वे उसका क्रियाकर्म भी कर चुके हैं। थोड़ा जोर देने पर वो लड़की से बात करने को तैयार हुए। बातचीत किया तो लड़की ने अपना नाम अनीता बताया, इस पर पिता ने बताया कि उनकी बेटी का नाम अनीता नहीं था। फिर अनीता ने अपने घर का नाम बताया, तब जाकर कहीं पिता को लगा कि शायद यह उनकी की बेटी है। पिता और परिवार अनीता से मिलने अहमदाबाद आए और उसे देखने पर पूरा यकीन हुआ कि वह उन्हीं की बेटी है।

अब परिवार अपनी मृतक बेटी को ज़िंदा लेकर दोबारा अपने घर पहुंच गए हैं। लेकिन पति रवींद्र अभी भी जेल में है, क्योंकि कागज़ी कार्रवाई के बाद ही कानून अनीता को जिंदा मानेगा और रवींद्र जेल से छूट पाएगा । फिलहाल इस दिलचस्प कहानी की हैप्पी एंडिंग तो हो चुकी है।
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-Sagar Singh Panwar
Note: - आपके साथ कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational story) मेरी स्वयं कि कृति नहीं हैमैंने ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया है.

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