भक्त और भगवान

भक्त और भगवान

एक बार एक नवयुवक था. वह भगवान का बहुत बड़ा भक्त था. उसने बहुत वर्षों तक भगवान की सेवा की थी इसलिए भगवान में उसका अटूट विश्वास था . एक दिन वो नौजवान एक समाचार पत्र में पढ़ता है की एक व्यक्ति के 1 करोड़ की लौटरी निकली है. उसने सोचा की जब एक साधारण व्यक्ति के 1 करोड़ की लोटरी निकल सकती है तो मेरे भी निकल सकती है आखिर मैं भगवान का बहुत बड़ा भक्त हूँ.

उसने भगवान की और अधिक भक्ति करनी शुरू कि और भगवन से मन्नत मांगी की ....

है! परमात्मा मैंने आपकी जीवन भर सेवा की है मुझे 1 करोड़ की लोटरी लगवा दो. और वह भगवान की रोज पूजा- अर्चना करने लगा . समय बिताता गया लेकिन उसे 1 करोड़ की लोटरी नहीं लगी. अब उसकी आयु भी ४० पार हो गयी. अब उसे लगने लगा की शायद 1 करोड़ कुछ ज्यादा है . और वैसे भी अब केवल बच्चों की शादी करनी रह गयी है बाकी काम तो गए है. अब उसने भगवान के सामने इच्छा जाहिर कि की..

है! भगवान शायद मैं 1 करोड़ के लायक नहीं हूँ आप मुझे 50 लाख की लोटरी लगवा दीजिये ताकि में अपने बच्चों की शादी कर सकूँ. और इसी इच्छा को रखे की भगवान मुझे 50 लाख की लोटरी लगवा देंगे. वह भगवान की भक्ति में लगा रहा. समय बीतता गया और भगवान में उसकी आस्था और भी गहरी होती गयी पता नहीं कब सालों बीत गए और उसकी उम्र 60 के पास पहुँच गयी फिर भी भगवान में अटूट आस्था थी इसलिए वह व्यक्ति अब भी भक्ति में मग्न था. अब उसके मन में आया की अब बच्चों की शादी भी गयी है अब में 50 लाख रुपयों का क्या करूँगा और उसने फिर अपनी इच्छा बदली और भगवान से प्रार्थना कि की...

है! परम दयालु परम पिता  परमात्मा  शायद मैं 50 लाख के काबिल नहीं हूँ , और आपने जो सोचा होगा अच्छा सोचा होगा. अब जीवन के सारे काम गए है बस अब बुढ़ापे में अपनी दवाइयों का खर्च निकाल सकूँ, इतनी ही इच्छा है . अब आप मुझे केवल 5 लाख की लोटरी लगा दीजिये.

भगवान में गहरी आस्था थी इसलिए अब वो और भी ज्यादा पूरे दिन भगवान की भक्ति में लीन रहने लगा. समय बिता और एक दिन वह आदमी मर गया उसे 1 रुपये की भी लोटरी नहीं निकली.

भगवान का बहुत बड़ा भक्त था इसलिए उसने यमराज से इच्छा जाहिर की वह एक बार भगवान से मिलना चाहता हूँ, उसे भगवान के पास ले जाया गया. अपने बहुत बड़े भक्त को अपनी और आता देख भगवान मंद- मंद मुस्कराने लगे.

भगवान को मुस्कराते देख भक्त का सब्र टूटा और गुस्से से भगवान पर बरस पड़ा- भगवान मैंने जीवन भर आपकी सेवा की लेकिन आप मुझे 1 करोड़ की लोटरी नहीं लगवा सकें 1 करोड़ की छोड़ो आप मुझे 5 लाख की लोटरी भी नहीं लगवा सके. टाटा, बिडला, अंबानी को आपने अरबों दिए मुझ पर आपने इतनी सी भी दया नहीं की.
तब भगवान मुस्कराते हुए बोले बेटा मुझे सब पता है की तुम मेरे बहुत बड़े भक्त हो , मैं तुम्हें 1 करोड़ की नहीं बल्कि 10 करोड़ की लोटरी लगवाता आखिर तुम मेरे बहुत बड़े भक्त हो लेकिन तुम्हें कभी लोटरी का टिकट खरीदना तो चाहिए था .

दोस्तों यही होता है जिंदगी में की इंसान के बड़ी-बड़ी कामनाएँ मन में संजो कर रखता है लेकिन उसे पूरी करने के लिए जरूरी काम नहीं करता. जब तक आप वह काम नहीं करेंगे आपकी इच्छा कैसे पूरी होगी. आप चाहते है की आप बहुत बड़े व्यापारी बने तो सिर्फ सोचने से आप बड़े व्यापारी नहीं बन जायेंगे, यहाँ तक की आप व्यापारी भी नहीं बन पाएंगे. अगर आपको व्यापारी बनना है तो आपको व्यापार शुरू करना पड़ेगा. आप अच्छी नौकरी पाना चाहते हे तो आपको कम्पटीशन एग्जाम का फॉर्म भरना पड़ेगा, तैयारी करनी पड़ेगी, एग्जाम देना पड़ेगा तब जाकर हो सकता है की आप सफल हो जाये. लेकिन आप फॉर्म ही नहीं भरोगे तो सफल होने कोई संभावना नहीं है. यदि आप रेस में भाग ही नहीं लोगे तो आपके जितने का कोई मौका ही नहीं है. यदि आप भाग लेते हो तो हो सकता है की आप जीत जाओ.

आशा है कि यह कहानी आपके काम आएगी. शायद भगवान चाहते थे कि मैं यह कहानी लिखूं और आप इसे पढ़े ताकि फिर आप भगवान से जाकर शिकायत ना करें.


© Sagar Singh Panwar
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Note: - आपके साथ कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational story) मेरी स्वयं कि कृति नहीं हैमैंने ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया है.

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