कूटनीति

कूटनीति 

वह एक शानदार व्यक्तित्व कि महिला थी उम्र करीब 45और 50 के बीच कि थीउनका नाम कमला जी था ! कॉलोनी में उनका एक छोटा पर शानदार घर था ! घर में उनके अलावा उनके पति, दो बेटे ,दोनों कि बहुएं और एक बिटिया अदिति जिसकी उम्र करीब 17-18 वर्ष थी ,रहते थे दोनों बहुएं सुन्दर सुशील पढ़ी लिखी और अच्छे परिवार से थी ! उनके पति और दोनों बेटे का स्वयं का कारोबार था ! अदिति कॉलेज में पढ़ती थी !

कहने का अर्थ यह है कि कमला जी का परिवार एक सुखी परिवार कि श्रेणी आता था जिसकी चमक कमला जी के चेहरे से प्रतीत होती थी कॉलोनी में ही एक मंदिर था कमला जी रो सुबह नहा धोकर मंदिर में दर्शन करने जाती थी

कमला जी ने उस मंदिर के बनाने में तन,मन,और धन से बहुत मदद कि थी इस लिए वहाँ का पुजारी उनका बहुत मान करता था ! वह रोज दो सेव ,या दो केले, अथवा दो चीकू जो भी उस समय मंदिर में उपलब्ध होता,उसका का प्रसाद उन्हें देता था  

कमला जी घर पहुँच कर प्रसाद रूपी दो फलों में से एक फल अपनी बड़ी बहू को और दूसरा फल अपनी छोटी बहु को दे देती थी ! बटी अदिति के मांगने पर कमला जी उसे झिड़क देती कहती ,चल हट दोनों बहुएँ तो मेरी सेवा करेंगी मेरे बुढ़ापे का सहारा बनेंगी तेरी तो शादी हो जायेगी तू तेरे ससुराल चली जायेगी तेरा क्या भरोसा ! शादी के बाद तेरे ससुराल में तेरी सास तुझे प्रसाद देगी कह कर अपने कमरे ने चली जाती और अदिति रुँआसी होकर अपने कमरे में चली जाती ! 

दोनों बहुएँ यह देख कर बड़ी प्रसन्न होती कि उनके सासु माँ उनको अपनी सगी बेटी से भी अधिक प्यार करती है ! उनका माँ भी अपनी सासु माँ के प्रति सम्मान से भर जाता !

कुछ समय बाद एक दिन बड़ी बहु के दिल में विचार आया कि सासु माँ अदिति के साथ गलत कर रही है ! आखिर है तो उनकी सगी बेटी ही कुछ दिनों बाद उसकी शादी हो जायेगी वह अपने ससुराल चली जायेगी फिर कोन उनसे प्रसाद मांगेगा ? इसी सोच के साथ उसका दिल अपनी ननद के प्रति प्यार से भर गया

दूसरे रोज कमला जी ने हर रोज कि तरह प्रसाद का एक फल अपनी बड़ी बहु को और एक फल अपनी छोटी बहु को दिया ! दोनों बहुएँ प्रसाद ले अपने अपने कमरे ने चली गई ! अदिति भी रोज कि तरह रुँआसी हो कर अपने कमरे में चली गई ! थोड़ी देर बाद बड़ी बहु ने अपनी ननद अदिति को अपने कमरे में बुलाया ! अदिति चुप चाप बड़ी बहु के कमरे में जा कर बोली क्या बात है बड़ी भाभी कुछ काम है

बड़ी बहु ने अदिति के सर पर प्यार से हाथ फेर कर कहा सासु माँ तुम्हारे साथ ये बर्ताव अच्छा नहीं कर रही है ! आखिरकार तुम भी तो इस घर की बेटी हो हमें दिया जाने वाले प्रसाद पर भी तुम्हारा भी हमारे समान, समान अधिकार है थोड़े दिन बाद तुम्हारी शादी हो जायेगी मेरी प्यारी ननद ससुराल चली जायेगी फिर कोन उनसे प्रसाद लेने कि जिद करेगा इस लिए इस फल का आधा तुम ले लो

अदिति बड़े आश्चर्य से बड़ी भाभी का मुंह देख रही थी ! बड़ी बहु ने प्रसाद के फल को काटा और उसका आधा भाग अदिति कि और बढ़ा दिया और कहा लो ! अदिति में मना करते हुए कहा नहीं बड़ी भाभी में नहीं लूंगी अगर माँ को मालूम पड़ गया तो मेरे ऊपर बड़ी गुस्सा होंगी ! तुम सासु माँ और छोटी भाभी को कुछ मत बताना में भी नहीं बताऊंगी तब किसी को भी कुछ पता नहीं चलेगा बड़ी बहु ने उसका हाथ पकड़ कर उसके हाथ में फल का आधा भाग देते हुए कहा ! अदिति ने आधा फल ले लिया और वहीं पर उसे खा लिया ! और मुस्करा दी ! पर भाभी अगर छोटी भाभी ने पुछा तो क्या जवाब दूँ

कुछ भी बहाना बना देना बड़ी बहु ने कहा ! ठीक है, कह कर अदिति अपने कमरे में चली गई कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा ! किसी को कुछ भी पता नहीं चला !

ठीक इसी तरह एक दिन छोटी बहु के दिल में भी यही विचार आया कि सासु माँ अदिति के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रही है अदिति इस घर कि बेटी है उसे भी हमारे समान प्रसाद पाने का समान अधिकार है ! बड़ी भाभी तो उसी क्यों प्रसाद देने लगीथोड़े दिनों बाद उसकी शादी हो जायेगी वह इस घर को छोड़ कर ससुराल चली जायेगी फिर तो हम दोनों बहुओं का ही राज होगा ! यही सोच कर दूसरे दिन छोटी बहु ने भी अदिति को अपने कमरे में बुलायाअदिति उस समय बड़ी भाभी के कमरे में थी ! 

छोटी बहु कि आवाज सुनते ही बड़ी बहु के कमरे से ही , आई छोटी भाभी कह कर भागती हुई छोटी बहु के कमरे में पहुँच गई ! बड़ी भाभी के कमरे में क्या कर रही थी ?उसने बड़े प्यार से अदिति से पुछा ! कुछ नहीं भाभी ऐसे ही बड़ी भाभी के सर में दर्द था बाम लगा रही थी अदिति ने झूंट बोल दिया ! छोटी बहु ने उसी प्यार से बैठाया और कहा सासु माँ तुम्हारे साथ अच्छा नहीं कर रही तुम्हें भी प्रसाद पाने का उतना ही हक़ है जितना हमारा इस लिए इस फल का आज से आधा भाग तुम ले लो ! पर बड़ी भाभी और माँ को पता चला तो दोनों मेरे पर गुस्सा करेंगी अदिति बोली ! कैसे पता चलेगा तुम किसी को कुछ मत बताना में भी नहीं बताऊंगी छोटी बहु बोलीपर अगर बड़ी भाभी ने पुछा कि छोटी भाभी ने क्यों बुलाया था तब क्या जवाब दूँ अदिति ने पुछा ! कुछ भी बहाना बना देना छोटी बहु हंसते हुए बोली और प्रसाद के फल का आधा हिस्सा अदिति को दे दिया

अंततः अदिति के हिस्से में प्रसाद का एक पूरा फल आ गया और एक फल का आधा आधा हिस्सा दोनों बहुओं के हिस्से में आया ! यह सिलसिला अदिति के विवाह तक निर्विघ्न चलता रह ! और यही "कमला जी" चाहती थी.

मित्रों इस कहानी से सिख लें और अपने परिवार में प्यार बनाएं रखे.
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Note: - आपके साथ कि गई ये प्रेरणात्मक कहानी (inspirational story) मेरी स्वयं कि कृति नहीं हैमैंने ये कहानी बहुत बार पढ़ी है और सुनी है और मैंने यहाँ पर केवल इसका हिन्दी रूपांतरण प्रस्तुत किया है.


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